गुयाना के सूकलाल परिवार ने दिवंगत माता-पिता की स्मृति में सीता-राम राधेश्याम मंदिर करवाया स्थापित
जॉर्जटाउन। गुयाना के स्पार्टा के एस्सेकिवो तट पर सीता-राम राधेश्याम मंदिर में भगवान हनुमान की 16 फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है। इस प्रतिमा की स्थापना आस्था, मित्रता और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में की गई है। गुयाना में स्थापित गई भगवान हनुमान की यह मूर्ति भारत से मंगाई गई है। इसकी स्थापना मंदिर और क्षेत्र के हिंदू समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। एस्सेकिवो तट पर स्थापित भगवान हनुमान की यह प्रतिमा सवसे लंबी है। सूकलाल परिवार ने इसे अपने दिवंगत माता-पिता की याद में दान किया था ।
जॉर्जटाउन स्थित भारतीय उच्चायोग रविवार को एक्स पर पोस्ट किया, भारत और गुयाना के लोगों के वीच घनिष्ठ संबंध बनाने के हमारे प्रयासों में भगवान वजरंगवली आशीर्वाद दें। यह मूर्ति सुकलाल परिवार द्वारा भारत से आयातित की गई है और अपने माता- पिता की स्मृति में स्थापित की गई है। यह हमारे भविष्य के प्रयासों में हमारा मार्गदर्शन करती रहेगी। मूर्ति स्थापना की शुरुआत शुक्रवार को तीन दिवसीय यज्ञ के साथ शुरू हुई।
वहीं, समापन रविवार को भक्तों की एक बड़ी भीड़ के सामने मूर्ति के भव्य अनावरण के साथ हुआ। इस धार्मिक आयोजन में रात्रिकालीन प्रवचन, भजन और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल थीं, जिससे समुदाय के लोग भक्ति के शक्तिशाली प्रदर्शन के लिए एकजुट हुए भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित करने की वात पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुयाना यात्रा के दौरान स्पष्ट हुई थी, जव उनके स्वागत में भारत और गुयाना के वीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों को उजागर करने वाला एक और दिल छू लेने वाला धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
पीएम ने गुयाना की राजधानी गुयाना जॉर्जटाउन के प्रोमेनेड गार्डन में एकता और साझा सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में आयोजित राम भजन में हिस्सा लिया था । प्रोमेनेड गार्डन, गुयाना में भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या है। यहां रहने वाले लोग अपनी जड़ों को भारत से जोड़ते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान जॉर्जटाउन के नेशनल सेंटर में भारतीय प्रवासियों की एक सभा को भी संवोधित किया था। भारत – गुयाना यात्रा के इतिहास पर विचार करते हुए, उन्होंने समुदाय की लचीलेपन और सांस्कृतिक समृद्धि की प्रशंसा की थी । प्रवासी समुदाय को राष्ट्रदूत कहा था, जो भारत की संस्कृति और मूल्यों के राजदूत हैं, और उनसे दोनों देशों के बीच के संबंधों को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाने का आग्रह किया था। यह यात्रा अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है, जो न केवल राजनीतिक वल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का भी प्रतीक है।
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